काव्यांश-2
फूलों से नित हँसना सीखो, भौरों से नित गाना।
फल से लदी डालियों से ,नित सीखो शीश झुकाना।।
सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना।
दूध तथा पानी से सीखो ,मिलनाऔर मिलाना ।।
दीपक से सीखों तुम निशदिन अंधेरों को हराना।
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची ही चढना।।
काव्यांश का शीर्षक क्या है
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पेड़ - पौधे हमारा संसार , हमारी पृथ्वी
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