काव्यंश के आधार पर संध्या -सुंदरी के रूप सौदर्य वणन कीजिए
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कवि इस कविता में यह कहने की कोशिश कर रहा है कि सुंदरता हर चीज में है। हम जो भी छोटी-छोटी चीजें करते हैं या हमारे आसपास का वातावरण, हर चीज में सुंदरता होती है। हर चीज का अपना महत्व होता है। सभी चीजें अपने-अपने तरीके से खूबसूरत हैं। सूरज की रोशनी की अपनी सुंदरता होती है। बढ़ती मकई में सुंदरता देखी जा सकती है, जो लोग अच्छी फसल पाने के लिए काम कर रहे हैं और नाच रहे हैं। सुंदरता केवल देखी ही नहीं जाती, सुनी या महसूस भी की जा सकती है। उदाहरण के लिए, जब रात होती है, हवा धीरे-धीरे चलती है, बारिश की आवाज आती है, या जब कोई गायक गाता है। ये सभी मन को सुख देते हैं और प्रसन्नता का अनुभव कराते हैं।सुंदरता सिर्फ बाहर नहीं है, भीतर है। सुंदर स्वयं है। हमारे अच्छे कर्म, खुश विचार कृपया सभी सुंदर हैं। हमारे सपने भी खूबसूरत हैं क्योंकि वे हमें आगे बढ़ने और उत्साह के साथ काम करने का कारण देते हैं। सुंदरता आपके काम करने की शैली में है, जिस तरह से आप आराम करते हैं और सोते हैं। सुंदरता हर जगह है। यह दृष्टिकोण में है, जिस तरह से हम चीजों को देखते हैं। दरअसल हर चीज अपने आप में खूबसूरत होती है, जरूरत होती है उसे महसूस करने की।
Explanation:
संध्या सुन्दरी' कविता में कवि निराला जी दिवासन के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कविता को रचित करते हैं। वह संध्या को एक सुन्दरी के रूप में प्रस्तुत करते हुए उसके सौंदर्य का वर्णन करते हैं। इस प्रकार बताते है रात्रि के समय आसमान बिल्कुल शांत हो जाता है।