Hindi, asked by sudarshanmahant, 6 hours ago

काव्यांश के भाषिक-सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए।​

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Answered by jha37731
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Answer:

, करुणा , क्रोध , हर्ष , उत्साह आदि का विभिन्न परिस्थितियों में मर्मस्पर्शी चित्रण ही भाव सौंदर्य है। भाव सौंदर्य को ही साहित्य शास्त्रों ने रस कहा है। प्राचीन आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा माना है। श्रृंगार रस , वीर रस , हास्य रस , करुण , रौद्र , शांत , भयानक , अद्भुत तथा वीभत्स – नौ रस कविता में माने जाते हैं। परवर्ती आचार्यों ने वात्सल्य और भक्ति को भी अलग रस माना है। सूर के बाल वर्णन में वात्सल्य का गोपी प्रेम में ‘ श्रृंगार ‘ का भूषण की शिवा बावनी में ‘ वीर रस ‘ का चित्रण है।

Explanation:

विचारों की उच्चता से काव्य में गरिमा आती है। गरिमापूर्ण कविताएं प्रेरणादायक भी सिद्ध होती है। उत्तम विचारों एवं नैतिक मूल्यों के कारण ही कबीर , रहीम , तुलसी और वृंद के नीति परख दोहे और गिरधर की कुंडलियां अमर है। इनसे जीवन के व्यवहारिक शिक्षा अनुभव तथा प्रेरणा प्राप्त होती है।

आज की कविता में विचार सौंदर्य के प्रचुर उदाहरण मिलते हैं। गुप्त जी की कविता में राष्ट्रीयता देशप्रेम आदि का विचार सौंदर्य है। दिनकर के काव्य में सत्य , अहिंसा और अन्य मानवीय मूल्य है। प्रसाद की कविता में राष्ट्रीयता संस्कृति और गौरवपूर्ण अतीत के रूप में विचारों का सौंदर्य देखा जा सकता है।

आधुनिक प्रगतिवादी कवि जनसाधारण के चित्र शोषित एवं दीन – हीनों के प्रति सहानुभूति शोषकों के प्रति विरोध आदि प्रगतिवादी विचारों का ही वर्णन कर

Answered by ShiwaniSngh
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Answer:

(क) अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण चुनकर लिखिए।

="जाको रूचे सो कहै कछु ओऊ"

कहै और कछु मे क वर्ण की पुनरावृति हो रही है।

=माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो,

माँगि और मसीत मे म वर्ण की आवृत्ति हो रही है।

(ख) काव्यांश के भाषिक-सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए।

=भाषिक सौंदर्य

•ब्रज भाषा

•सवैया छन्द

•दास्य भव

•" लैबोको एकु न देबको दोऊ " मुहावरा

•,माँगि मसीत ,कहै कछु आदि मे अनुप्रास अलंकार ।

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