काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।
1. कोई भी विघ्न वीर के रास्ते में क्यों नहीं टिक पाता?
2. यदि व्यक्ति पूरे साहस से उठ खड़ा हो तो क्या होगा?
3. 'पर्वत के जाते पाँव उखड़' का अर्थ लिखिए-
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1.कियुकी वीर कभी हिमत नही हारा करते।
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१) वीर कभी भी किसी भी परेशानी से डरता नहीं है। डरने से विघ्न रास्ते में आ जाते हैं पर वीर वीरो के भांति उन से लड़ते हैं और विघ्नों को हरा देते हैं इसलिए विघ्न वीर के रास्ते में नहीं टिक पाता।
२)Agar koi bhi vyakti apne se nahi haar manta hai jab tak usme ladne ki chamta ho , wahi vyakti uss samey haar ta jab usme saahas nahi hota. Phir bhi wah vyakti saahash se ooth jata hai yani ki usmi abhi ranbhumi me usse ladne ki chamta hai
3) संकट को जड़ से समाप्त करना।
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