काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:- या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं॥रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं॥
क- ये काव्य पंक्तिँया कौन सी कौन-सी छंद में है?
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ख-रसखान सब कुछ करील की कुंजन पर क्यों न्योछावर कर देना चाहता है?
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ग-निधियाँ कितनी होती हैं?
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घ-कवि का इन पंक्तियों में कौन सा भाव है?
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ङ-'करील की कुंजन ऊपर वारों ' में कौन-सा अलंकार है?
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Answers
प्रश्न में दिये गये काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...
(क) ये काव्य पंक्तियां कौन से छंद में हैं?
उत्तर ► ये काव्य पंक्तियाँ सवैया छंद में हैं।
(ख) रसखान सब कुछ करीन की कुंजन पर क्यों नयोछावर कर देना चाहता है?
उत्तर ► रसखान सब कुछ करीन की कुंजन पर इसलिये न्योछावर कर देना चाहता है, क्योंकि उन करीन की कुंजन में कभी श्रीकृष्ण ने विचरण किया था, गायें चराई थी, गोपियों संग रास रचाया था। रसखान श्री कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति के कारण श्री कृष्ण से संबंधित हर स्थान और वस्तु के प्रति लगाव रखते हैं, इसलिये रसखान चाहते हैं, कि यदि उन्हे करीन की कुंजन में रहने को मिल जाये तो उसके लिये वो अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं।
(ग) निधियाँ कितनी होती हैं?
उत्तर ► निधियां नौं होती हैं, जो इस प्रकार हैं, महापद्म, पद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील और खर्व अर्थात रसखान कहते हैं कि यदि उन्हें नंद बाबा की गाय चराने का अवसर मिल जाए तो उसके लिए मैं आठों सिद्धियों और नौ निधियों का सुख भी त्यागने को तैयार हैं।
(घ) कवि का इन पंक्तियों में कौन सा भाव है?
उत्तर ► कवि का इन पंक्तियों में श्री कृष्ण के प्रति भक्ति-भाव प्रकट हुआ है। कवि की श्री कृष्ण में अनन्य भक्ति है। इसी भक्ति भाव के वशीभूत होकर श्री कृष्ण का सानिध्य पाने के लिये वह संसार का हर बड़े से बड़ा सुख भी त्यागने को तैयार है।
(ङ) ‘करील की कुंजन ऊपर वारो’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर ► ‘करीन की कुंजन ऊपर वारो’ में अनुप्रास अलंकार है।
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