Hindi, asked by vinodkumar7831, 4 hours ago

काव्याश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
तुम कुछ न करोगे, तो भी विश्व चलेगा ही,
फिर क्यों गर्वीले बन लड़ते अधिकारों को?
सो गर्व और अधिकार हेतु लड़ना छोड़ो,
अधिकार नहीं, कर्तव्य-भाव का ध्यान करो!
61
है तेज़ वही, (अपने सान्निध्य मात्र से जो दूसरी
सहचर-परिचर के आँसू तुरत सुखाता है,
उस मन को हम किस भाँति वस्तुतः सु-मन कहें,
औरों को खिलता देख, न जो खिल जाता है?
7.,
काँटे दिखते हैं जब कि फूल से हटता मन, )
(अवगुण दिखते हैं जब कि गुणों से आँख हटे )
उस मन के भीतर दुख कहो क्यों आएगा;
जिस मन में हों आनंद और उल्लास डटे!
यह विश्व व्यवस्था अपनी गति से चलती है, कवी
मनुण
तुम चाहो तो इस गति का लाभ उठा देखो,
व्यक्तित्व
तुम्हारा
यदि शुभ गति का प्रेमी हो
3.​

Answers

Answered by parimalsavage
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Answer:

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Explanation:

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