काव्यांश में जगदीश दुलारा का क्या भाव है ?
ईश्वर की रचना
ईश्वर के रहने का स्थान
ईश्वर का बेटा
ईश्वर को प्रिय
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सही जवाब है,
ईश्वर को प्रिय
काव्यांश में जगदीश दुलारा का भाव ईश्वर को प्रिय है |
जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा –
जग सौभाग्य सुदेश! जय-जय प्यारा भारत देश!
स्वर्गिक शीश-फूल पृथ्वी का,
प्रेम-मूल, प्रिय सकल विश्व का,
कवि कहता है कि जगत का मुकुट यानी जगत का सिरमौर और ईश्वर को प्रिय, जो सौभाग्य से परिपूर्ण हो, ऐसा प्यारा भारत देश है, जो पृथ्वी का स्वर्ग कहलाता हो। जहाँ से प्रेम की उत्पत्ति हुई, जहाँ से पूरे विश्व की भलाई की कामना की जाती है, वो भारत देश है।
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