काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (1-4) बिहसि लखनु बोले मृदु वानी। अहो मुनीसु महाभट मानी ॥ पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू ॥ इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ॥ देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना ॥ भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी ॥ सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई ॥ बधे पापु अपकीरति हारें। मरत हूँ पा परिअ तुम्हारें ॥ कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा । व्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा ॥ जो बिलोकि अनुचित कहेउँ, छमहु महामुनि धीर ॥ सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर ॥
1. कवि एवं कविता का नाम बताइए।
क) कवि : तुलसीदास कविता : राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
(ख) कवि - सूरदास , कविता- पद,
(ग) कवि - सूरदास , कविता- पद,
(घ) कवि - रसखान, कविता - रसखानवाली,
2. ‘कुम्हड़बतिआ’ की क्या विशेषता होती है ?
क) क्या फूंक मार कर पहाड़ उड़ाना चाहते ह।
(ख) भगवान के भक्त
(ग) इसकी पत्तियाँ तर्जनी अंगुली के इशारे से ही मुरझा जाती हैं।
(घ) हम भी कोई छुईमुई नहीं हैं।
3.किसके कहने पर परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था?
(क) गुरू के
(ख) पिता के
(ग) प्रेयसी के
(घ)इनमें से कोई नहीं
4. ‘का छति लाभ जून धनु तोरे’ यहाँ जून शब्द का क्या अर्थ है ?
( क) जून का महीना
(ख) जीर्ण
(ग) जून का धनुष
(घ) सम्मानित
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I will not answer you sorry
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