काव्यसौंदर्य तापी काठची चिकन माती ओटा तरी बांधू ग बाई असा उठला चांगलं तरी जातं तरी मांडू ग बाई
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Tapichya Katavarchi mati jar chikan asel tar ota bhandhu ya jar ota changala tar jat tari manduya
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