Hindi, asked by devanshpanwar7026, 7 hours ago

कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावकै पग में पनही न हती, कहँ लै गजराजहु ठाढे महावत।।भूमी कठोर पैरात कटै, कहँ कोमल सेज पै नींद न आवतकै जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत1. कवि और कविता का नाम बताइए।2. सुदामा के पास अब कौन-कौन सी सुविधाएँ उपलब्ध हैं?3. अर्थ बताइए- कंचन, दाख। ​

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Answered by mahakaltop3
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