केवल पुस्तकीय ज्ञान से कार्य नहीं चलेगा । हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जिससे कोई व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके । ' ' किसने कहा ?
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Answer:
kaha ka question hai ye
Answer:
''सिर्फ किताबी ज्ञान से काम नहीं चलेगा। हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे इंसान अपने पैरों पर खड़ा हो सके।''
इस उद्धरण को अक्सर महात्मा गांधी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जो व्यावहारिक शिक्षा की वकालत के लिए जाने जाते हैं जो व्यक्तियों को आत्मनिर्भर और आत्मनिर्भर बनने के लिए सशक्त बनाता है।
Explanation:
स्पष्ट रूप से महात्मा गांधी व्यावहारिक शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे जो कौशल और ज्ञान विकसित करने पर केंद्रित था जो लोगों को आत्मनिर्भर और आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सके। इसके अलावा उनका मानना था कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें व्यावहारिक कौशल भी शामिल होना चाहिए जो व्यक्तियों को आजीविका कमाने और समाज में योगदान देने में मदद कर सके।
गांधी के अनुसार, शिक्षा को उनके शारीरिक, बौद्धिक और नैतिक पहलुओं सहित संपूर्ण व्यक्ति के विकास के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उनका मानना था कि शिक्षा को केवल अकादमिक विषयों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि कृषि, बढ़ईगीरी और अन्य व्यवसायों जैसे व्यावहारिक कौशल पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सके।
व्यावहारिक शिक्षा पर गांधी का जोर आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता के महत्व में उनके विश्वास में निहित था। उनका मानना था कि जो व्यक्ति अपनी कड़ी मेहनत और कौशल के माध्यम से खुद का समर्थन करने में सक्षम थे, वे अधिक सशक्त होंगे और शोषण के प्रति कम संवेदनशील होंगे।
कुल मिलाकर शिक्षा पर गांधी के विचार ने व्यक्तियों को सशक्त बनाने और सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने के साधन के रूप में व्यावहारिक कौशल और आत्मनिर्भरता के महत्व पर बल दिया।
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