क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे?
Answers
उत्तर :
हां, मैं इस तर्क से सहमत हूं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे। इनमें निम्नलिखित कई दोष थे :
(क) इसमें सभा आयोजित करने तथा संघ आदि बनाने की स्वतंत्र के विषय में कुछ नहीं कहा गया था।
(ख) इसमें सार्वजनिक शिक्षा के विषय में कुछ नहीं कहा गया था।
(ग) इसमें व्यापार तथा व्यवसाय की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं दिया गया था।
(घ) इसमें नागरिकों को संपत्ति रखने का सीमित अधिकार प्रदान किया गया था। अतः राज्य सार्वजनिक हित का बहाना बनाकर किसी भी संपत्ति को छीन सकता था।
(ड़) फ्रांस के उपनिवेशों में काम करने वाले दासों के विषय में इसमें कोई उल्लेख नहीं था।
(च) इन अधिकारों की सबसे बड़ी कमी यह थी कि इनके साथ मानव के कर्तव्य निश्चित नहीं किए गए थे। कर्तव्यों के बिना अधिकार प्राय: महत्वहीन हो जाते हैं।
आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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Explanation:
हां, यह सत्य है कि सार्वभौमिक अधिकारों का संदेश विभिन्न विरोधाभासों से भरा हुआ था-
- (i) महिलाओं ने लिंग आधारित अधिकारों के घोषणा पत्र के विरुद्ध विरोध किया।
- (ii) ज्याँ-पॉल मरा ने इसका विरोध किया कि लोगों का प्रतिनिधित्व करने का संवैधानिक अधिकार सिर्फ उच्च वर्ग और अमीर लोगों को उपलब्ध था। गरीबों तथा दलितों को इस अधिकार से अलग रखा गया था।
- (iii) डेस्मॉलिन्स ने आतंक के राज की आलोचना की जिसका उपयोग स्वतंत्रता के अधिकार की परिपक्वता तक इसको सीमित रखने के लिए किया गया था।