क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी
बताइए।
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Hey mate here is your answer......
उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है.. लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि मनुष्य स्वभावानुसार अधिक समय तक बंधनों में नहीं रह सकते। समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। ठीक वैसे ही तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है। महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरंभ किया और वह आत्मनिर्भर हो गई।
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उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है.. लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि मनुष्य स्वभावानुसार अधिक समय तक बंधनों में नहीं रह सकते।
समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। ठीक वैसे ही तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है। महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरंभ किया और वह आत्मनिर्भर हो गई।
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