क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
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'...उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं...''लेखक पी साईनाथ द्वारा जंजीरों पाठ में उक्त पंक्ति से मैं पूर्णतः सहमत हूं। कोई भी व्यक्ति अधिक समय तक यातनाएं सहन नहीं कर सकता। कभी न कभी वह उठ खड़ा होता है और फुंकार मात्र से पर्वत को हिलाने का सामर्थ्य रखता है। अपने अंतर्मन में विश्वास एवं साहस उत्पन्न होने पर व्यक्ति परंपरागत बंधनों को तोड़कर एक नए रास्ते की खोज कर खोज कर लेता है। वह नित्य नए प्रयोग कर उन सभी समस्याओं और मुश्किलों की काट निकालने का प्रयास करता है, जो उसे दुख एवं पीड़ा के सागर में डूबाए रखती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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Hey plss give me short answer plssss
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