क्या आप सहमत हैं कि वैश्वीकरण के कारण भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों में समानता है बड़ी है अपने उत्तरों के समर्थन में तर्क दीजिए हिंदी में आंसर
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वैश्वीकरण की प्रक्रिया के विस्तार से समाज में संस्थागत एवं संरचनात्मक विकास को बढ़ावा मिला है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत न सिर्फ द्रुत गति से औद्योगिक एवं आर्थिक विकास की बात की जाती हैं, बल्कि समस्त समाज के कायाकल्प की बात भी इसमें शामिल है।
यह महसूस किया गया है कि वैश्वीकरण के ढ़ाँचे के अंतर्गत समाज के उस वर्ग को अधिक फायदा हुआ है, जो अधिक योग्य, शिक्षित तथा सक्षम था। इससे समाज के वंचित, शोषित एवं हाशिये पर रहे लोगों को फायदा नहीं हुआ, किंतु नुकसान अवश्य हुआ है।
वैश्वीकरण के दौर में महिलाओं की मुश्किलें बढ़ी है। बढ़ते मशीनीकरण से नौकरियों में असुरक्षा, कम वेतन, परंपरागत हुनर की अनदेखी, विदेशी कंपनियों की मनमानी शर्तें और उनके समक्ष कानून की असमर्थता...आदि परिस्थितियाँ औरतों को न्याय दिलाने में असफल रही हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अंतर्गत महिलाओं का वस्तुकरण हो गया है। बड़ी कंपनियाँ अपनी सेवाओं तथा वस्तुओं को बेचने के लिये महिलाओं की योग्यता, क्षमता तथा व्यक्तित्व का प्रयोग करती हैं। वैश्वीकरण के इस युग में महिलाओं के वस्तुकरण एवं व्यावसायीकरण को भारतीय समाज पर पड़े इसके नकारात्मक प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है।
वैश्वीकरण के कारण विकसित देशों में महिलाएँ निर्धनता एवं भेदभाव का शिकार हो रही हैं। एक ही तरह के काम में पुरुष तथा महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है।
आज महिलाओं के श्रम को उत्पादन से सीधे नहीं जोड़ा जाता इसी कारण पुरूष विशिष्टि हो गए और महिलाएँ महत्त्वहीन रह गई। महिलाएँ ज्यादातर असंगठित संस्थाओं में काम करती हैं और नियमहीनता के चलते वे शोषण का शिकार हो जाती हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सर्वेक्षण के अनुसार, हमारे देश में प्रति वर्ष डेढ़ करोड़ लड़कियाँ जन्म लेती हैं। इनमें 25 लाख 15 वर्ष की उम्र से पहले की मर जाती हैं। इसका कारण समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव का व्यवहार है।
आज भी महिला श्रमिकों को कम मज़दूरी के साथ वांछित अधिकारों से वंचित होना पड़ता है।
उपभोक्तावाद, हिंसा तथा स्वच्छंद यौन व्यवहार आदि का समाज व महिलाओं पर घातक प्रभाव पड़ा है।
वैश्वीकरण जहाँ विकासशील देशों के विकास को सुनिश्चित करता है, वहीं यह समाज की आर्थिक रूप से गरीब महिलाओं को अधिक उत्पीडि़त करने का प्रयास करता है।
उपर्युक्त नकारात्मकताओं के बावजूद वैश्वीकरण के कुछ सकारात्मक पहलू भी देखे जा सकते हैं। जैसे-
बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन के द्वारा महिलाओं को राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में भागीदार बनाए जाने के प्रयत्न किये जा रहे हैं।
इस प्रक्रिया कें अतंर्गत महिलाओं के अनूकूल रोज़गार निर्माण किया जा रहा है ताकि योग्य तथा सक्षम महिलाएँ राष्ट्र के आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदारी निभा सकें।
आज महिलाएँ अधिक स्वतंत्र व आत्मनिर्भर हैं।
अतः इसमें संदेह नहीं कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया से महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है किंतु कई अपेक्षित सुधार अभी भी बाकी है।
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