क्या आपने कभी किताबों के संसार का अनुभव किया है? अपने अनुभव लिखिए।
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जिन्हें किताबें पढ़ने का शौक है वे इस अनुभव को गहराई से महसूस करेंगे और जिन्हें नहीं है उनके लिए यह किताबें पढ़ने की प्रेरणा बन सकता है सबसे पहले अपनी ननिहाल में पड़ी गीता प्रेस की लाल जिल्द वाली मोटी-सी रामायण मैंने पढ़ी. किष्किंधा कांड को छोड़कर बाकी सब पढ़ गया. तब शायद मैं नौ साल का था.
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