क्या आपने कभी मिट्टी के सकोरे या कुल्हाद प्रयोग किए हैं कि उनको बनाते हुए देखा है इनके बनाने की विधि बता कीजिए और उस पर एक अनुच्छेद लिखिए
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यहाँ के कुम्हार अपने आप को राणा, नाग, चक्रधारी और पाँड़े कहते हैं। कुम्हार यहाँ के ग्रामीण जीवन और सामाजिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण अंग हैं। यहाँ के लोगों के जीवन के प्रत्येक पक्ष में कुम्हारों की भूमिका अनिवार्य है। दैनिक घरेलू गतिविधियां हों, पूजा अनुष्ठान हों अथवा विवाह संस्कार, यह सभी कुम्हारों द्वारा बनाई वस्तुओं के बिना संपन्न होना संभव नहीं। मैं सन १९८३ से छत्तीसगढ़ और विशेषतः बस्तर क्षेत्र के कुम्हारों के संपर्क में रहा हूँ। अतः पिछले एक लम्बे समय में यहाँ के कुम्हारों के काम और स्थिति में आये बदलाव को अनुभव किया है।
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