क्यों ऐसा लगा मैंने उसे देखा
क्यों ऐसा लगा मैंने उसे सोचा
रातें ये दिन
सिर्फ उसकी यादों में
खोए रहते हैं
पर इक खामोशी की चादर में
छुपकर सोए रहते हैं
न दिखाते हैं चेहरा अपना
आंसू भी इनकीआँखों में ख्वाब पिरोए रहते हैं
आज उसकी यादें कुछ कहना चाहती हैं
मरे इन सपनों को अपना बनाना चाहती हैं
हो सकता है देख रहा होऊंगा सपना
पर एक वही है जो लगती है अपना
प्यार तो बहुत है उससे
पर ज़िकर करना नहीं आता
याद तो बहुत आती है वो
पर दिखाना नहीं चाहता
आज उसकी आंखें दिल में बसना चाहती हैं
उसकी ये बातें मुझसे कुछ कहना चाहती हैं
हाँ, उनकी बातें बुरी लगती हैं मुझे
पर प्यार वो ताकत है
जिससे जुदा होके जिया नहीं जाता शायद
जिया नहीं जाता
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wow what a poem..... ye apne banai hai????
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