क्या अध्यापकों के लिए कोई आचार-संहिता होनी चाहिए ?
Answers
स्कूलों में छात्रों के अप्रत्याशित आचरण, शिक्षकों की प्रतिक्रिया, शारीरिक दंड, यौन र्दुव्यवहार आदि के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ने शिक्षकों के लिए मानक ‘आचार संहिता’ पेश की है।
शिक्षक आचार संहिता में बच्चों की भावनात्मक संवेदना का खास ध्यान रखा गया है। शिक्षकों को बच्चों को डराने-धमकाने, परेशान करने, शारीरिक दंड देने, यौन उत्पीड़न की सख्त मनाही की गई है जिससे छात्रों को मानसिक एवं भावनात्मक परेशानी से संरक्षण मिल सके।
संहिता के अनुसार, शारीरिक दंड, जहां प्रकट रूप से दिखते हैं वहीं भावनात्मक एवं यौन र्दुव्यवहार के घाव बाल मन को लम्बे समय तक पीड़ित करते हैं। इसकी गंभीरता को समझते हुए छात्रों के भावनात्मक एवं मानसिक संरक्षण पर कक्षा से जुड़े एनसीपीसीआर के नये दिशानिर्देशों को शिक्षकों के व्यवहार का मार्गदर्शक सिद्धांत बताया गया है।
एनसीटीई के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद अख्तर सिद्दिकी ने कहा कि इस आचार संहिता पर शिक्षविदों, सामाजिक संगठनों एवं शिक्षा के घटकों से राय आमंत्रित की गई है।
उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा के सुनहरे अतीत को सहेजने की कवायद के तहत तैयार एनसीटीई की शिक्षक ‘आचार संहिता’ को तैयार करने में विश्व बैंक, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ और राज्य सरकार से सलाह ली गई है।
आचार संहिता में शिक्षकों को नैतिकता का ध्वजवाहक बताया गया है। उनके लिए यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों को शर्मनाक बताया गया है। शिक्षकों से उच्चतम न्यायालय और एनसीपीसीआर की ओर से तैयार उन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है जो स्कूलों एवं कार्यस्थल से जुड़े यौन उत्पीड़न के बारे में हैं।