क्या ब्रह्मांड के मौजूद होने के अभी तक वैज्ञानिक प्रमाण पाए गए है? यदि हाँ तो कैसे ?
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हमारी पृथ्वी सौरमंडल की सदस्य है. हमारा सौरमंडल, हमारे ब्रह्मांड का एक मामूली सा हिस्सा है. ये ब्रह्मांड, पृथ्वी से दिखने वाली आकाशगंगा का एक हिस्सा है.
बचपन से लेकर आज तक हम विज्ञान, पृथ्वी, आकाश, चांद, सूरज और दूसरे तारों के बारे में यही क़िस्से सुनते रहे हैं.
वैज्ञानिक ये मानते हैं कि दुनिया में सिर्फ़ हम ही नहीं, बहुत से ब्रह्मांड हैं. क्योंकि आकाश अनंत है. इसका कोई ओर-छोर नहीं. न हमने इसको पूरा देखा है, न जाना है, न समझा है.
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तो आख़िर ये कैसे कह सकते हैं कि हमारे जैसे कई ब्रह्मांड हैं?
असल में ये ख़्याल सदियों पुराना है कि हमारे ब्रह्मांड जैसे दूसरे ब्रह्मांड हैं. सबसे पहले सोलहवीं सदी में कॉपरनिकस ने ये कहा था कि पृथ्वी, ब्रह्मांड के केंद्र में नहीं.
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कुछ दशक बाद दूसरे यूरोपीय खगोलविद् गैलीलियो ने अपनी दूरबीन से देखा कि सितारों से आगे भी सितारे हैं.
सोलहवीं सदी के आख़िर तक आते आते इटली के मनोवैज्ञानिक गियोर्दानो ब्रूनो ने पक्के तौर पर कहना शुरू कर दिया था कि आकाश अनंत है और हमारी जैसी दूसरी कई दुनिया इसमें बसती है.
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सोलहवीं सदी से अठारहवीं सदी तक आते आते दूसरे ब्रह्मांड के ख़्याल ने इंसान के दिल में पुख़्ता तौर पर जगह बना ली थी.
बीसवीं सदी में आयरलैंड के एडमंड फ़ोर्नियर ने एलान कर दिया कि आकाशगंगा में बहुत से ब्रह्मांड बसते हैं.
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अब वैज्ञानिकों के इतने विचार हैं कि मसला हल होने के बजाय और मुश्किल हो जाता है. तस्वीर साफ़ होने के बजाय और धुंधली हो जाती है.
असल में हमारे अलावा दूसरे ब्रह्मांड हैं, इसका पता लगाना मुमकिन ही नहीं, क्योंकि इन्हें हम देख ही नहीं सकते, वहां तक पहुंचना तो ख़ैर असंभव है.
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हमारा ब्रह्मांड केवल 138 करोड़ साल पुराना है. तो बाक़ी के ब्रह्मांड अगर हैं तो वो इतने प्रकाश वर्ष से ज़्यादा दूरी पर हैं. इतने दूर की वहां रौशनी नहीं पहुंच सकती.
वैज्ञानिक कहते हैं कि ब्रह्मांड अभी अलग-अलग हैं, मगर वो हमेशा ऐसे नहीं रहेंगे. एक वक़्त ऐसा आएगा जब वो एक दूसरे के क़रीब आएंगे, एक दूसरे में मिल जाएंगे.
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वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि जैसी हमारी पृथ्वी है, परमाणुओं से बनी, वैसी ही और भी पृथ्वी होंगी, दूसरे ब्रह्मांडों में. करोड़ों किलोमीटर दूर, हमारी नज़रों से ओझल.
ऐसा है, तो जैसे हम आज दूसरे ब्रह्मांडों, धरतियों के बारे में बात कर रहे हैं, ठीक उसी तरह कहीं दूर, ऐसी ही बातें हो रही होंगी. सोचिए, ये ख़याल ही कितना दिलकश है.
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ये ख़्याल कितने पुख़्ता हैं, इनकी पड़ताल के लिए हमें ब्रह्मांड की शुरुआत के दौर में जाना होगा. सबसे प्रमुख थ्योरी जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में चलन में है वो है बिग बैंग थ्योरी.
इसके मुताबिक़ एक छोटे से परमाणु में विस्फ़ोट से हुई थी ब्रह्मांड के बनने की शुरुआत.
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इसके बाद, इसका विस्तार होता गया और आज इसका कोई ओर-छोर हमें नहीं मालूम. बिग बैंग थ्योरी के हिसाब से भी एक नहीं कई ब्रह्मांड होने चाहिए, जो एक दूसरे से बहुत दूर हैं.
कुछ लोग ये भी मानते हैं कि एक ब्रह्मांड से कई छोटे-छोटे ब्रह्मांड पैदा होते हैं. ये कुछ उसी तरह है कि जैसे कोई सितारा ब्लैकहोल में समा जाए. मगर, नए ब्रह्मांड, इसी ब्लैकहोल से निकलते हैं, जिनका धीरे-धीरे विस्तार होता जाता है.
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कई ब्रह्मांड को लेकर, वैज्ञानिकों के बीच पांच तरह की थ्योरी चलन में हैं. इनमें से कोई कहती है कि बिग बैंग से दूसरे ब्रह्मांड पैदा हुए.
वहीं कोई ये कहती है कि ब्लैक होल की घटना के ठीक उलट प्रक्रिया से नए ब्रह्मांड पैदा हुआ. एक और थ्योरी ये भी कहती है कि बड़े ब्रह्मांड से दूसरे छोटे ब्रह्मांड पैदा हुए.
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मुश्किल ये है कि इनमें से किसी को भी सच की कसौटी पर कसा नहीं जा सकता, क्योंकि दूसरे ब्रह्मांड अगर हैं भी तो हमारी पृथ्वी से इतनी दूर कि उनकी मौजूदगी की सचाई परखी नहीं जा सकती.
हां, इन सिद्धांतों को कसौटी पर कसकर ज़रूर ये कहा जा सकता है फलां थ्योरी सही है या ग़लत.
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आम तौर पर वैज्ञानिक अब ये मानने लगे हैं कि हमारे ब्रह्मांड जैसे कई और ब्रह्मांड हैं. वो कितने हैं, कितनी दूर हैं, ये बताना मुश्किल है.
असल में किसी भी खगोलीय घटना के ज़रूरी है कि उसके लिए भौतिक विज्ञान का कोई सिद्धांत हो. भौतिकी के कई सिद्धांत जो पृथ्वी पर लागू होते हैं, वो किसी और ब्रह्मांड में लागू होंगे, ये ज़रूरी नहीं है.
इसीलिए वैज्ञानिक बहुत दिनों से 'थ्योरी ऑफ एवरीथिंग' तलाश रहे हैं. यानी भौतिकी के कुछ ऐसे बुनियादी नियम, जो हर जगह, हर हालात में लागू हो जाएं.
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अगर ऐसा हो सका तो हमारे लिए ये समझना आसान हो जाएगा कि हमारी पृथ्वी जैसी कहीं दूर, दूसरी पृथ्वी है या नहीं. आकाश में कितने ब्रह्मांड हैं.
तब तक तो दूसरे ब्रह्मांड के बारे में यही कहा जा सकता है कि, दिल बहलाने को ग़ालिब हर ख़्याल अच्छा है.
हमारी पृथ्वी सौरमंडल की सदस्य है. हमारा सौरमंडल, हमारे ब्रह्मांड का एक मामूली सा हिस्सा है. ये ब्रह्मांड, पृथ्वी से दिखने वाली आकाशगंगा का एक हिस्सा है.
बचपन से लेकर आज तक हम विज्ञान, पृथ्वी, आकाश, चांद, सूरज और दूसरे तारों के बारे में यही क़िस्से सुनते रहे हैं.
वैज्ञानिक ये मानते हैं कि दुनिया में सिर्फ़ हम ही नहीं, बहुत से ब्रह्मांड हैं. क्योंकि आकाश अनंत है. इसका कोई ओर-छोर नहीं. न हमने इसको पूरा देखा है, न जाना है, न समझा है.
तो आख़िर ये कैसे कह सकते हैं कि हमारे जैसे कई ब्रह्मांड हैं?
असल में ये ख़्याल सदियों पुराना है कि हमारे ब्रह्मांड जैसे दूसरे ब्रह्मांड हैं. सबसे पहले सोलहवीं सदी में कॉपरनिकस ने ये कहा था कि पृथ्वी, ब्रह्मांड के केंद्र में नहीं
कुछ दशक बाद दूसरे यूरोपीय खगोलविद् गैलीलियो ने अपनी दूरबीन से देखा कि सितारों से आगे भी सितारे हैं.
सोलहवीं सदी के आख़िर तक आते आते इटली के मनोवैज्ञानिक गियोर्दानो ब्रूनो ने पक्के तौर पर कहना शुरू कर दिया था कि आकाश अनंत है और हमारी जैसी दूसरी कई दुनिया इसमें बसती है.
सोलहवीं सदी से अठारहवीं सदी तक आते आते दूसरे ब्रह्मांड के ख़्याल ने इंसान के दिल में पुख़्ता तौर पर जगह बना ली थी.
बीसवीं सदी में आयरलैंड के एडमंड फ़ोर्नियर ने एलान कर दिया कि आकाशगंगा में बहुत से ब्रह्मांड बसते हैं.
अब वैज्ञानिकों के इतने विचार हैं कि मसला हल होने के बजाय और मुश्किल हो जाता है. तस्वीर साफ़ होने के बजाय और धुंधली हो जाती है.
असल में हमारे अलावा दूसरे ब्रह्मांड हैं, इसका पता लगाना मुमकिन ही नहीं, क्योंकि इन्हें हम देख ही नहीं सकते, वहां तक पहुंचना तो ख़ैर असंभव है.
हमारा ब्रह्मांड केवल 138 करोड़ साल पुराना है. तो बाक़ी के ब्रह्मांड अगर हैं तो वो इतने प्रकाश वर्ष से ज़्यादा दूरी पर हैं. इतने दूर की वहां रौशनी नहीं पहुंच सकती.
वैज्ञानिक कहते हैं कि ब्रह्मांड अभी अलग-अलग हैं, मगर वो हमेशा ऐसे नहीं रहेंगे. एक वक़्त ऐसा आएगा जब वो एक दूसरे के क़रीब आएंगे, एक दूसरे में मिल जाएंगl
वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि जैसी हमारी पृथ्वी है, परमाणुओं से बनी, वैसी ही और भी पृथ्वी होंगी, दूसरे ब्रह्मांडों में. करोड़ों किलोमीटर दूर, हमारी नज़रों से ओझल.
ऐसा है, तो जैसे हम आज दूसरे ब्रह्मांडों, धरतियों के बारे में बात कर रहे हैं, ठीक उसी तरह कहीं दूर, ऐसी ही बातें हो रही होंगी. सोचिए, ये ख़याल ही कितना दिलकश है.
ये ख़्याल कितने पुख़्ता हैं, इनकी पड़ताल के लिए हमें ब्रह्मांड की शुरुआत के दौर में जाना होगा. सबसे प्रमुख थ्योरी जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में चलन में है वो है बिग बैंग थ्योरी.
इसके मुताबिक़ एक छोटे से परमाणु में विस्फ़ोट से हुई थी ब्रह्मांड के बनने की शुरुआत.
इसके बाद, इसका विस्तार होता गया और आज इसका कोई ओर-छोर हमें नहीं मालूम. बिग बैंग थ्योरी के हिसाब से भी एक नहीं कई ब्रह्मांड होने चाहिए, जो एक दूसरे से बहुत दूर हैं.
कुछ लोग ये भी मानते हैं कि एक ब्रह्मांड से कई छोटे-छोटे ब्रह्मांड पैदा होते हैं. ये कुछ उसी तरह है कि जैसे कोई सितारा ब्लैकहोल में समा जाए. मगर, नए ब्रह्मांड, इसी ब्लैकहोल से निकलते हैं, जिनका धीरे-धीरे विस्तार होता जाता है.
कई ब्रह्मांड को लेकर, वैज्ञानिकों के बीच पांच तरह की थ्योरी चलन में हैं. इनमें से कोई कहती है कि बिग बैंग से दूसरे ब्रह्मांड पैदा हुए.
वहीं कोई ये कहती है कि ब्लैक होल की घटना के ठीक उलट प्रक्रिया से नए ब्रह्मांड पैदा हुआ. एक और थ्योरी ये भी कहती है कि बड़े ब्रह्मांड से दूसरे छोटे ब्रह्मांड पैदा हुए.
मुश्किल ये है कि इनमें से किसी को भी सच की कसौटी पर कसा नहीं जा सकता, क्योंकि दूसरे ब्रह्मांड अगर हैं भी तो हमारी पृथ्वी से इतनी दूर कि उनकी मौजूदगी की सचाई परखी नहीं जा सकती.
हां, इन सिद्धांतों को कसौटी पर कसकर ज़रूर ये कहा जा सकता है फलां थ्योरी सही है या ग़लत.
आम तौर पर वैज्ञानिक अब ये मानने लगे हैं कि हमारे ब्रह्मांड जैसे कई और ब्रह्मांड हैं. वो कितने हैं, कितनी दूर हैं, ये बताना मुश्किल है.
असल में किसी भी खगोलीय घटना के ज़रूरी है कि उसके लिए भौतिक विज्ञान का कोई सिद्धांत हो. भौतिकी के कई सिद्धांत जो पृथ्वी पर लागू होते हैं, वो किसी और ब्रह्मांड में लागू होंगे, ये ज़रूरी नहीं है.
इसीलिए वैज्ञानिक बहुत दिनों से 'थ्योरी ऑफ एवरीथिंग' तलाश रहे हैं. यानी भौतिकी के कुछ ऐसे बुनियादी नियम, जो हर जगह, हर हालात में लागू हो जाएं.
अगर ऐसा हो सका तो हमारे लिए ये समझना आसान हो जाएगा कि हमारी पृथ्वी जैसी कहीं दूर, दूसरी पृथ्वी है या नहीं. आकाश में कितने ब्रह्मांड हैं.
तब तक तो दूसरे ब्रह्मांड के बारे में यही कहा जा सकता है कि, दिल बहलाने को ग़ालिब हर ख़्याल अच्छा है.