क्यों बिस्मार्क और सरदार पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है?
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जहां एक ओर जर्मनी के राज्यो में एकीकरण की भावना व्यापत थी वहीं दूसरी ओर भारत के कुछ राज्य अलग देश बनना चाहते थे। हैदराबाद उन्ही राज्यो में से एक था। वहीं कुछ राज्य पाकिस्तान में जाना चाहते थे जबकि जनता भारत मे शामिल होना चाहती थी। जूनागढ़ इसी का उदाहरण था।
सरदार पटेल ने भी भारत को एकीकरण के लिए रक्त और लौह की नीति को अपनाया। हैदराबाद ने सेना भेजकर उसका विलय हिंदुस्तान में करवाना एक बहुत बड़ी कामयाबी थी।
इस तरह बिस्मार्क और पटेल को लौहपुरुष की संज्ञा दी जाती है क्योंकि ऐसा काम कोई लौहपुरुष ही कर सकता है। जिस तरह बिस्मार्क के बगैर जर्मनी,जर्मनी नही होता उसी तरह सरदार के बिना भी भारत,भारत नही होता।
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