क्या बेटा- बेटी में भेदभाव करना उचित है ? यदि नहीं, तो क्यों ? अपने विचार 40 से 50 शब्दों में अनुच्छेद के रूप में लिखे
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बेटा बेटी का फर्क मिटाने के बाद ही सही मायने में नारी सशक्तीकरण की अवधारणा चरितार्थ होगी। आज बेटियां हर क्षेत्र में बेटों से आगे हैं। समाज में आज भी लोग बेटों को अधिक महत्व देते हैं, लेकिन अगर बेटा की तरह बेटियों को भी समान शिक्षा और समान अवसर दिया जाए, तो बेटियां सफलता का परचम लहरा सकती हैं। समाज को अपनी रूढि़वादी सोच बदलनी होगी। इसके लिए हम महिलाओं को सामाजिक वर्जनाओं को तोड़कर अपनी बेटियों को उचित अवसर दिलाने का प्रयास करना होगा। शिक्षित तथा सभ्य समाज का निर्माण तभी होगा, जब बेटियां हर क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के बराबरी का अधिकार प्राप्त कर सके। हर माता पिता को अपनी बेटी को उचित शिक्षा देना चाहिए। तभी बेटियां सफल होकर अपने माता पिता का मान बढ़ाएंगी। बेटियां आत्मनिर्भर बनेंगी, तो देहज और बाल विवाह जैसी समस्या खुद व खुद समाप्त हो जाएगी।