'क्यों बैठे हो भाग्य के भरोसे' पर 2 मिनट का भाषण दीजिए।
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खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्वास है वह व्यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्य साथ देता है और न कर्म ही होता है।
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if you like so please give me same thanks
Anonymous:
Answer is not sufficient. It is too short.
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