'क्यों बैठे हो भाग्य के भरोसे' पर 2 मिनट का भाषण दीजिए।
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आर्थात कर्म के बिना भाग्य संभव नहीं है,भाग्य यूही किसी के पास चल के नहीं आयगी।कुछ पाना चाहा है तो कर्म करना ही पड़ेगा।
जीवन में कभी न कभी हमारे मन में ये अवश्य आता है कि क्या मेहनत करने से सबकुछ मिल जाता है,और क्या जीवन में भाग्य का महत्व परिश्रम से अधिक होता है? जो कि हमारे मन को भाग्य के भरोसे बैठने पे विवश कर देता है और जब हमारा सामना चुनौतियों से होता है तो हम सोचते हैं कि भाग्य से बड़ा परिश्रम नहीं होता।परन्तु मनुष्य के जीवन में कुछ भी महत्व रखता है तो वो है व्यक्ति की मेहनत और दृढ़ इच्छशक्ति जिसके द्वारा मनुष्य कुछ भी प्राप्त कर सकता है।ये जरूरी नहीं कि हर सफल व्यक्ति के पास जन्म से ही भाग्य हो और उनकी सफलता का कारण केवल उनका भाग्य हो क्योंकि हमने इतिहास में कई ऐसे उदाहरण देखें हैं जहां व्यक्ति बिना अच्छे भाग्य के भी सफल हुआ है। ऐसा बताते हुए हमारे सामने डॉ अब्दुल कलाम से लेकर हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के रूप में व्यक्तित्व हैं। डॉ कलाम जो अच्छे परिवार से ना होने के बावजूद अपना नाम दुनिया में अमर करा गए। और प्रधानमंत्री जी जो ऐक चाय बेचने वाले से आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बन चुके हैं जो ऐक जीता जागता प्रमाण है कि सफल होने के लिए भाग्य से अधिक अपनी मेहनत पे विश्वास करना पड़ता है और अपने मन से प्रश्न करना पड़ता है कि ' क्यों बैठे हो भाग्य के भरोसे '।।
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