क्या भूगोल को क्षेत्रीय भिन्नता का अध्ययन मारना तकृक है? तीन बिंदुओं में इसकी पुष्टि कीजिए
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भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। [1]प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है।
पृथ्वी का मानचित्र
भूगोल एक ओर अन्य श्रृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है:
(१) विज्ञानों से प्राप्त तथ्यों का विवेचन करके मानवीय वासस्थान के रूप में पृथ्वी का अध्ययन करता है।
(२) अन्य विज्ञानों के द्वारा विकसित धारणाओं में अंतर्निहित तथ्य की परीक्षा का अवसर देता है, क्योंकि भूगोल उन धारणाओं का स्थान विशेष पर प्रयोग कर सकता है।
(३) यह सार्वजनिक अथवा निजी नीतियों के निर्धारण में अपनी विशिष्ट पृष्ठभूमि प्रदान करता है, जिसके आधार पर समस्याओं का स्पष्टीकरण सुविधाजनक हो तो है।
Answer:
okkk
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okk no ishu byy forever
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