क्या भाल के समर्पण से भी बड़ा कोई समर्पण है?
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कविता में कवि ने मातृभूमि की धूल को भाल पर मलने की बात कही हैं। इसका आशय है कि वह मातृभूमि की धूल का टीका लगाकर देश की खातिर अपना जीवन समर्पित करने को जाना चाहता है। ... समर्पण कविता के आधार पर कवि माँ का ऋण कैसे उतारना चाहता है?
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क्या बाल से भी बड़ा कोई समर्पण है
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