Social Sciences, asked by atul196036, 6 months ago

क्या भारतीय संविधान पित्र प्रधान है​

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Answered by sp2447138
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Explanation:

पितृसत्ता जिसके ज़रिए अब संस्थाओं के एक खास समूह को पहचाना जाता है कि “सामाजिक संरचना और क्रियाओं की एक ऐसी व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें पुरुषों का महिलाओं पर वर्चस्व रहता है और वे उनका शोषण और उत्पीड़न करते हैं|” गर्डा लर्नर के अनुसार पितृसत्ता “परिवार में महिलाओं और बच्चों पर पुरुषों के वर्चस्व की अभिव्यक्ति-संस्थागतकरण और सामान्य रूप से महिलाओं पर पुरुषों के सामाजिक वर्चस्व का विस्तार है|” वह यह भी कहती हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाएं पूरी तरह शक्तिहीन हैं या पूरी तरह अधिकारों, प्रभाव और संसाधनों से वंचित हैं| इस व्यवस्था की ख़ास बात इसकी विचारधारा है जिसके तहत यह विचार प्रभावी रहता है कि पुरुष स्त्रियों से अधिक श्रेष्ठ हैं और महिलाओं पर पुरुषों का नियन्त्रण है या होना चाहिए| इस व्यवस्था में महिलाओं को पुरुषों की संपत्ति के तौर पर देखा जाता है|

Answered by harsh8116
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Answer:

पितृसत्ता जिसके ज़रिए अब संस्थाओं के एक खास समूह को पहचाना जाता है कि “सामाजिक संरचना और क्रियाओं की एक ऐसी व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें पुरुषों का महिलाओं पर वर्चस्व रहता है और वे उनका शोषण और उत्पीड़न करते हैं|” गर्डा लर्नर के अनुसार पितृसत्ता “परिवार में महिलाओं और बच्चों पर पुरुषों के वर्चस्व की अभिव्यक्ति-संस्थागतकरण और सामान्य रूप से महिलाओं पर पुरुषों के सामाजिक वर्चस्व का विस्तार है|” वह यह भी कहती हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाएं पूरी तरह शक्तिहीन हैं या पूरी तरह अधिकारों, प्रभाव और संसाधनों से वंचित हैं| इस व्यवस्था की ख़ास बात इसकी विचारधारा है जिसके तहत यह विचार प्रभावी रहता है कि पुरुष स्त्रियों से अधिक श्रेष्ठ हैं और महिलाओं पर पुरुषों का नियन्त्रण है या होना चाहिए| इस व्यवस्था में महिलाओं को पुरुषों की संपत्ति के तौर पर देखा जाता है|

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