Science, asked by monishkhan27376, 15 days ago

क्या एक स्वास्थ्य व्यक्ति रोग मुक्त हो सकता है? उदाहरण बताइए?​

Answers

Answered by chavanswarup456
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Explanation:

अमृतमपत्रिका ग्वालियर जिनका तन-मन-अन्तर्मन पूर्णतः प्रसन्न है…. स्वस्थ्य है!शांति का श्रेष्ठ अनुभव वही कर पाते हैं। तंदरुस्ती भी मृत्यु से अमृत की यात्रा है। आयुर्वेद से ताल्लुक रखो, तबियत ठीक रहेगी। अमृतम शब्द वो हकीम है, जो अल्फाजों से इलाज करता है।।

कबीरदास जी ने कहा है कि-

ईश्वर ने जैसी चदरिया दी है, हमें वैसी ही वापस करना चाहिए। अर्थात हम स्वस्थ्य आये हैं, तन्दरुस्त ही जाएं।

गैस बनी, तो रिलेक्स खत्म…

आयुर्वेद का नियम है…उदर वायु से आयु क्षीण हो जाती है। गेस विकार शरीर में हाहाकार मचा देते हैं।

उदर में कब्ज रहने से जलन होती है तथा असंख्य वायुविकार एवं गैस की समस्या उत्पन्न होने लगती है। अगर समय रहते ध्यान नहीं देते, 10 विकृतियां देह को तबाह कर देती है एवं होते हैं 10 तरह की बीमारी…

【एक】लिवर, किडनी, आंते और पाचनतंत्र विकृत हो जाते हैं।

【दो】पेट में दर्द बना रहता है।

【तीन】बीपी हाई या असन्तुलित रहता है

【चार】हृदय कमजोर होने लगता है।

【पांच】सिर में लगातार दर्द बना रहता है।

【छह】गुदा और गुर्दे के रोग होने लगते हैं।

【सात】चक्कर आते रहते हैं।

【आठ】सिर व शरीर भारी रहता है।

【नवम】हाथ-पैरों में कम्पन्न रहता है

【दस】बुढ़ापा जल्दी आता है।

अमृतम द्वारा निर्मित दवा भी ले सकते हैं…

जिओ माल्ट-ZEO Malt एक शुद्ध आयुर्वेदक दवा है। इसमें आंवला मुरब्बा, हरड़ मुरब्बा, सेव मुरब्बा, गुलकन्द, मधुयष्ठी आदि अनेक कारगर ओषधियों का मिश्रण है।

ओनली ऑनलाइन उपलब्ध

भोजन न पचने से पेट पूरी तरह एक बार में साफ नहीं होता, तो मल सड़ने लगता है। जब मल सड़ता है, तो अनेक रोगों को आमंत्रित करता है। रोग-राग के अनेक रिश्तेदार आकर शरीर पर कब्जा कर लेते हैं। फिर रोज-रोज का रोजा (भूख न लगना) हमारी मजबूरी हो जाती है। तन-मन का पतन होने लगता है तथा निम्नलिखित व्याधि शरीर की शक्ति आधी कर देते हैं!!!!

कब्ज बनी रहना,

वायुविकार होना

पेट में जलन होना,

उल्टी जैसा मन होना।

भूख न लगना। आदि रोग से लोग परेशान रहते हैं।

आयुर्वेदिक घरेलू उपचार…

■ पेट की जलन और वायु विकार में मुलेठी एवं गुलकन्द युक्त पान खाने के बाद लेवें, तो गैस से तुरन्त राहत मिलती है।

■ दूसरी घरेलू चिकित्सा…

रात में 4 छोटी हरड़,

8 मुनक्का

जीरा, अजवायन, धनिया, इलायची, गुलाब फूल सभी 1–1 ग्राम, अमृतम त्रिफला चूर्ण 5 ग्राम सभी को 400 ml पानी में 12 या 18 घण्टे पहले किसी मिट्टी के पात्र में गलाएं।

सुबह सबको उपरोक्त पानी आधा रहने तक उबाले। फिर अच्छी तरह मसलकर छाने ओर इसमें 10 ग्राम गुड़, सेंधा नमक 2 ग्राम मिलाकर एक बार ओर गर्म कर ठंडा करें।

100 ml सुबह खाली पेट लेवें। शेष दवा खाने के पहले दो बार में लेवें। यह उपाय 30 दिन करें, तो पेट के सभी साध्य-असाध्य विकार शनक्त हो जाते हैं। लिवर क्रियाशील यानि एक्टिव हो जाता है।

यह भी उपाय हैं- गैस-जलन मिटाने के…

@ सप्ताह में दो बार मूंग की दाल का पानी जरूर पिएं। हो सके, तो मूंग की दाल में रोटी गलाकर खावें। पेट के रोगों में यह बहुत मुफीद है।

@ अमरूद, गुलकन्द, मुनक्का, किसमिस, अनारदाना और अमलताश गूदा आदि

कब्ज, गैस, उदर रोग, जलननाशक तथा पेट को ठीक रखने वाली प्राकृतिक ओषधियाँ हैं।

ये परहेज भी जरूरी हैं…

@ रात को फल, जूस, सलाद के सेवन से बचें।

@ अरहर की दाल सबसे ज्यादा कब्ज पैदा करती है। पेट की बहुत सी बीमारी इसी की वजह से होती है। इसका उपयोग कम से कम करें।

यदि दाल खाने का बहुत मन हो, तो अधिक से अधिक जल जरूर पियें।

@ हमेशा एसिडिटी रहती हो, तो खाने के तुरन्त बाद एक पान गुलकन्द युक्त चबचबाकर खाएं।

@ सुबह बिना नहाए कुुुछ भी अन्न न लेवें। अधिकांश लोगों ने यह आदत बना ली है कि…सुबह चाय के साथ बिस्किट आदि बिना स्नान के ही लेते हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक है।

दरअसल हमारे शरीर में 70 फीसदी पानी का हिस्सा है, इसलिए शरीर की पहली जरूरत पानी है। स्नान से देह की शुद्धि हो जाती है। सारे संक्रमण धूल जाते हैं।

@ पानी जवानी बनाये रखता है। पानी से ही वाणी शुद्ध होती है।

@ बिना नहाए, खाया गया अन्न शरीर में अनेकों दोष एवं रोग उत्पन्न करता है।

विज्ञापन वाले चूर्ण, टेबलेट से सावधनी बरतें…

@ सोशल मीडिया, tv आदि पर चल रहे विज्ञापन पेट साफ करने वाले सभी चूर्ण सनाय तथा शुद्ध जयपाल जैसी नुकसानदेह ओषधियों से निर्मित होते हैं, जो तत्काल तो लाभ देते हैं, किन्तु बाद में रोगों का कारण बनते हैं। इनसे बचे।

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इस लेख में अनेक समस्याएँ हैं। कृपया इसे सुधारने में मदद करें या वार्ता पृष्ठ पर इन समस्याओं पर चर्चा करें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने सन् 1948 में स्वास्थ्य या आरोग्य की निम्नलिखित परिभाषा दी:

1) दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य है।

या,

2) किसी व्यक्ति की मानसिक,शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं।। [1]

स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। वैसे तो आज के समय मे अपने आपको स्वस्थ रखने के ढेर सारी आधुनिक तकनीक मौजूद हो चुकी हैं, लेकिन ये सारी उतनी अधिक कारगर नहीं हैं।

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