‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?' कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि
मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए।
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ये प्रश्न ‘छाया मत छुना’ पाठ से लिया गया है, जो ‘गिरिजा कुमार माथुर’ द्वारा रचित एक कविता है।
कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी कोई उपलब्धि आनंद देती है, हम इस संबंध में कवि से आंशिक रूप से सहमत हैं।
कुछ बातें हैं जहां पर कवि के सोच लागू होती, क्योंकि हमें कई बार हमें अपने किसी लक्ष्य को प्राप्त करने बहुत ज्यादा प्रयास करने पर ही सफलता मिलती है, लेकिन जब भी सफलता मिलती है तो आनंद आता है। तब ये लगता है कि देर आये दुरस्त आये।
लेकिन जीवन के हर क्षेत्र में कवि की यह बात उपयुक्त नहीं बैठती। कुछ कार्यों का महत्व समय पर ही होता है अर्थात वह कार्य उस समय सीमा के अंदर ही संपन्न हो जाए तभी उनका महत्व और आनंद आता है। समय सीमा बाहर निकल जाने पर कार्य संपन्न होने पर सफलता मिलने पर आनंद तो आता है लेकिन उस कार्य का उतना महत्व नही रहता है, और उस सफलता का हम पूर्ण रूप से लाभ नही उठा पाते।
उदाहरण के लिये कोई विद्यार्थी किसी डिग्री आदि को 25 से 30 वर्ष की आयु के बीच हासिल कर ले तो उस डिग्री की सहायता से वो अपने करियर को स्थापित कर सकता है। वो डिग्री यदि उसे 40 वर्ष या 50 वर्ष की आयु में जाकर मिले तो उसका कोई महत्व नही रहता क्योंकि सरकारी या निजी कंपनियों में नौकरी की अधिकतम आयु 25 से 30 वर्ष तक होती है, तब उसके लिये उस डिग्री का महत्व केवल आत्मसंतुष्टि के अलावा कुछ विशेष नही रहता।