क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह है क्या ही निस्तब्ध निशा | है स्वच्छंद - सुनंद गंध वध निरानंद है कौन दिशाएं
कृति 1.] 1. पद्यांश मे प्रयुक्त विलोम ढूंढकर लिखिए।
1. गंदा
3. उपा
2. हलचल
है - है I चाँदनी ऐसी है - स्वच्छ
गंध ऐसी है - दिशा ऐसी है
| स्वच्छंद - सुभेद निरानंद
3.
उपयुक्त पद्यांबा का भावार्थ लिखिए।
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क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह, है क्या ही निस्तब्ध निशा;
है स्वच्छन्द-सुमंद गंध वह, निरानंद है कौन दिशा?
बंद नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य-कलाप,
पर कितने एकान्त भाव से, कितने शांत और चुपचाप!
भावार्थ : चारों ओर स्वच्छ धवल चाँदनी फैली हुई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे रात थम सी गई है। पूरे वातावरण में मन को मोह लेने वाली सुगंध व्याप्त है। चारों तरफ आनंद ही आनंद का वातावरण है। इस स्तब्ध कर देने वाली सुंदरता का प्रभाव प्रकृति पर बिल्कुल भी नही पड़ रहा जो कि इन सभी तत्वों की सूत्रधार है। प्रकृति तो अपने अपने क्रियाकलाप एकांत भाव से निरंतर चुपचाप करती जा रही है।
दिए गए शब्दों के पद्यांश मे प्रयुक्त विलोम इस प्रकार होंगे...
1. गंदा
विलोम : स्वच्छ
2. हलचल
विलोम : निस्तब्ध
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