Hindi, asked by shivam30296, 1 month ago

क्या ही स्वच्छ चांदनी है यह,
है क्या ही निस्तब्ध निशा |
हे स्वच्छंद-सुमंद गंध वह,
निरानंद है कौन दिशा |
बंद नहीं ,। ‌अब भी चलते हैं
नियति नटी के कार्य-कलाप |
पर कितने एकांत भाव से
कितने शांत और चुपचाप ||



उपयुक्त पद्यांश के भावार्थ लिखें


plz give me the ans

Answers

Answered by mahima30121995
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Answer:

पंचवटी में जो चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है उसको निहार कर मन में विचार आता है कि यहां कितनी स्वच्छ और निर्मल चांदनी है। रात भी बहुत शांत है। चारों तरफ सुगंधित वायु धीरे धीरे बह रही है। पंचवटी में चारों तरफ आनंद ही आनंद बिखरा पड़ा है। पूरी तरह शांत वातावरण है और सभी लोग सो रहे हैं। फिर भी नियति रूपी नटी अर्थात नर्तकी अपने सारे क्रियाकलापों को बहुत शांत भाव से पूरा करने में मगन है। अकेले-अकेले और निरंतर एवं चुपचाप अपने कर्तव्यों का पालन किए जा रही है।

Answered by jatin13454
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कहते हैं कि आज बहुत ही सुंदर रहते हैं रात है यह रात निरस्त निरस्त हो कर चल रही है चारों तरफ सुंदर सुंदर सुगंध का आभास हो रहा है ऐसी कोई दिशा नहीं है जहां से सुंदरता का आभास नहीं हो रहा है दूसरी पंक्ति में कवि कहते हैं कि अभी तक रात की सारी क्रिया प्रथम ही नहीं है पर यह विशेषता है कि यह सब एकदम शांत ढंग से हो रही है इतने शांत कि ऐसा लग रहा है कि चारों तरफ एकांत शांति शांति है

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