क्या जानूँ इस जीवन अन्दर, कितने पाप कमाए हैं।
हूँ शर्मिन्दा आप से क्या बतलाऊँ मैं।
तेरे दर को छोड़कर किस दर जाऊँ मैं।।
मेरे पाप कर्म ही तुझसे, प्रीति न करने देते हैं
।
जो मैं चाहूँ मिलूँ आपसे रोक मुझे वे लेते हैं।
कैसे स्वामी आपके. दर्शन पाऊँ मैं।
तेरे दर को छोड़कर किस दर जाऊँ मैं।।
Answers
Answered by
1
Answer:
देते" (और इसके आगे के शब्दों) को अनदेखा कर दिया गया है क्योंकि हम क्वेरी को 32 शब्दों तक सीमित रखते हैं.
Answered by
0
Answer:
कवी यहाँ पर ईश्वर के प्रति प्रेम को दर्शा रहा है
Similar questions