क्या जीवन से हार कर आत्महत्या करना उचित है?
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Ni, Jeevan se haar kar atmhatya karna bilkul bhi uchit ni h. Hame apni musibaton ka samna karna chahiye. Unse dar kar ni bhagna chahiye.
abhikr841405:
Nahi
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5
हमारा जीवन खुशी और गमी का मिश्रण है, इस जीवन में हमें कई ऐसी स्थियों का सामना करना पड़ेगा जब हमें लगेगा का अब हम में और क्षमता नही बची है किसी काम को करने की और इसी सोच के कारण कई लोग अपनी ज़िंदगी से तंग आकर आत्महत्या करने की सोच बैठते है।
पर ये किसी भी तरह से उचित नही है। क्योंकि भविश्य को किसी ने नही देखा, हम यह नही कह सकते कि अगर आज हम किसी दुःख से गुज़र रहे है तो यह दुःख सदा के लिए ही हमारी ज़िंदगी में रहेगा, जिस दुःख के कारण आज एक इंसान आत्महत्या करने की सोच रहा है, क्या पता वह दुख किसी ख़ुशी और एक नई आस की तरफ बढ़ने का संकेत हो ।
आत्महत्या करने से पहले इंसान को यह ज़रूर सोचना चहिये के आत्महत्या करने से वो तो इस दुनिया से चला जायेगा, परंतु पीछे उसकी माँ,जिसने उसे इस दुनिया में लाने के लिए इतने दुःख झेले है, उसका सहारा कौंन बनेगा। अगर आत्महत्या करने से पहले एक बार अपने दुखों को परे रख कर कोई अपनी ज़िन्दगी में जीने की आस के बारे में सोचे तो आत्महत्या करने वाले लोगो की संख्या बहुत कम हो जाये और अपनी ज़िंदगी का सही मतलब समझने वाले लोगो की संख्या और बढ़ जायेगी।
बस ज़रुरत है तो एक बार सोचने की, खुद के लिए ना सही तो कम से कम उनके लिए जो आज भी आपके लिए अपनी ज़िंदगी जी रहे है।
पर ये किसी भी तरह से उचित नही है। क्योंकि भविश्य को किसी ने नही देखा, हम यह नही कह सकते कि अगर आज हम किसी दुःख से गुज़र रहे है तो यह दुःख सदा के लिए ही हमारी ज़िंदगी में रहेगा, जिस दुःख के कारण आज एक इंसान आत्महत्या करने की सोच रहा है, क्या पता वह दुख किसी ख़ुशी और एक नई आस की तरफ बढ़ने का संकेत हो ।
आत्महत्या करने से पहले इंसान को यह ज़रूर सोचना चहिये के आत्महत्या करने से वो तो इस दुनिया से चला जायेगा, परंतु पीछे उसकी माँ,जिसने उसे इस दुनिया में लाने के लिए इतने दुःख झेले है, उसका सहारा कौंन बनेगा। अगर आत्महत्या करने से पहले एक बार अपने दुखों को परे रख कर कोई अपनी ज़िन्दगी में जीने की आस के बारे में सोचे तो आत्महत्या करने वाले लोगो की संख्या बहुत कम हो जाये और अपनी ज़िंदगी का सही मतलब समझने वाले लोगो की संख्या और बढ़ जायेगी।
बस ज़रुरत है तो एक बार सोचने की, खुद के लिए ना सही तो कम से कम उनके लिए जो आज भी आपके लिए अपनी ज़िंदगी जी रहे है।
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