क्योंकि आवेशित गोले के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर वही विभव होता है जो कि उसके पृष्ठ पर हाता है,अत: गाला "
क्योंकि गोला A गोला B के अन्दर स्थित है, अत: गोला A पर गोला B के (-4) आवेश के कारण विभव
1
4TTEK
b
वोल्ट ही होगा।
1 -g
4TEK6
1
प
4NEKH
V2 =
गोला A का परिणामी विभव VA = V1 + V2
1
= 4TEK
प्रारिता
(a) श्रेणीक्रम संयो
धारित्र की पहली प्ले
की दूसरी प्लेट के
चित्र 4.14 में ,
इस प्रकार का संत
वश्यकता होती है।
माना किसी वैद्युत-
अन्दर वाले तल
परेसंधारित्र की
a)
1
4TLEOK
-9
b
o
b-a
q
4TULK
q
4TrEKLa
b
%3D
(वोल्ट
अथवा
ab
आवेश तथा
VA=
क्योंकि बाह्य गोला B पृथ्वी से जुड़ा है अत: यह शून्य विभव पर है, इसलिए इसका विभव VB = 0
दोनों गोलों के बीच विभवान्तर V = VA - VB = VA - 0 = VA
(b-a
वोल्ट
V=
q
4TTLKab
अतः
4περK
g
4
गोलाकार संधारित्र की धारिताC=
V q
b-a
ab
b-a
C= 4TTEK
फैरड
अथवा
ab
यदि दोनों गोलों के बीच निर्वात (अथवा वायु) हो तो K =1, अत: इस दशा में संधारित्र की धारिता
ab
:4NED
फैरड
माना CM
b-a
यदि बिन्द
महत्त्वपूर्ण टिप्पणियाँ (Important Notes)
गोलाकार संधारित्र की धारिता के उपर्यक्त सत्र (1) से स्पष्ट है कि गोलाकार संधारित्र की धारिता बढाने के लि
यति नि-
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