क्या कोई मुझे कहानी सुना सकता है मैं उसे 50 points दूंगा ?
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इलाज
मैं ने डॉक्टर की फ़ीस अदा कर के नंबर लिया और इस्तिक़बालिया (reception) के सामने बैठ गया. इस स्पेशलिस्ट की फ़ीस काफ़ी ज़्यादा है मरीज़ आते गए, नंबर लेते गए.
एक बूढ़ी औरत इस्तिक़बालिया तक पहुंची. उसकी आँखों में उम्मीदों के दीये जल रहे थे. फ़ीस सुन कर दीये बुझ गए.
उस ने बीमार बेटे से कुछ बात की.
दोनों दरवाज़े की तरफ़ बढ़े.
मैं ने रास्ता रोक कर अपना नंबर और रसीद उन्हें दे दी. मुझे कोई बीमारी नहीं.
हर माह एक नंबर किसी मुस्तहिक़ मरीज़ को दे देता हूँ, फिर पूरा महीना किसी डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ता.
मुबश्शिर अली जैदी
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