क्या कोई मुझे मीराबाई की कुछ कविताएँ हिंदी में दे सकता है?
दो कविताएँ दीजिए
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रचनाएँ
नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो / मीराबाई
हरि तुम हरो जन की भीर / मीराबाई
नैना निपट बंकट छबि अटके / मीराबाई
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई / मीराबाई
बादल देख डरी / मीराबाई
पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो / मीराबाई
पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे / मीराबाई
श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो / मीराबाई
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5 POEMS OF MIRABAI IN HINDI
1.करुणा सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी
करुणा(करणाँ) सुणो स्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी॥
दरसण कारण भई बावरी बिरह-बिथा तन घेरी।
तेरे कारण जोगण हूंगी, दूंगी नग्र बिच फेरी॥
कुंज बन हेरी-हेरी॥
2.अंग भभूत गले म्रिघछाला, यो तप भसम करूं री।
अजहुं न मिल्या राम अबिनासी बन-बन बीच फिरूं री॥
रोऊं नित टेरी-टेरी॥
3.जन मीरा कूं गिरधर मिलिया दुख मेटण सुख भेरी।
रूम रूम साता भइ उर में, मिट गई फेरा-फेरी॥
रहूं चरननि तर चेरी॥
4.हरी मेरे जीवन प्रान अधार।
और आसरो नाहीं तुम बिन तीनूं लोक मंझार।।
आप बिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
मीरा कहै मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार।।४।।
5.थांने हम सब ही की चिंता तुम सबके हो गरीबनिवाज।।
सबके मुगट सिरोमणि सिरपर मानीं पुन्यकी पाज।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बांह गहेकी लाज।।१।।
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