क्या कंजूस होना वास्तव में बुरी बात है?
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कंजूस होना वास्तव में बुरी बात है l हमें हर जगह कंजूसी नहीं दिखानी चाहिए l हां पर बचत करने को हम कंजूसी नहीं कह सकते हैं l जैसे कोई व्यक्ति राशन लेने जाता है वो कुछ सामान लेकर चीनी का भाव पूछता है वह 20 रूपए में 1 किलो चीनी लेता हैं l ओर घर वाहपास आ जाता है l इससे उसे अपने जरूरत का चीज हो जाता है l
कंजूस होना अच्छी बात है। सोशल मीडिया के इस ज़माने में हम जब भी फेसबुक, इंस्टाग्राम वगैरह खोलते हैं तो दोस्तों की और उनके दोस्तों की तस्वीरें सामने आती हैं जिनपर लिखा हुआ होता है 'क्लिकेड फ्रॉम वन प्लस', 'पोस्टेड फ्रॉम आई फ़ोन' इत्यादि। और सब ब्रांडेड कपड़े पहले हुए देश विदेश घुमते हुए, नयी बाइक और कार लेते हुए तस्वीरें डालते हैं।
इस से हमे लगता है की शायद हमारी ज़िन्दगी बोरिंग है और बाकी सबकी अच्छी है। फिर हम भी इस चंगुल में फस जाते हैं, आई फ़ोन खरीदते हैं, विदेश यात्रा करते हैं, महंगे रेस्टोरेंट में जाते हैं, गाडी खरीदते हैं और उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया में डालते हैं। इस से हमे सुकून मिलता है की हम पीछे नहीं हैं, ज़माने के साथ चल रहे हैं।
लेकिन इस से हमारी जेब में छेद हो जाता है और लोन EMI जैसी चीज़ें हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाती हैं।
अब पैसे बचाकर fixed डिपाजिट करना या म्यूच्यूअल फण्ड में एसआईपी करना ये कूल नहीं है, इसके बारे में सोशल मीडिया पर चर्चा नहीं होगी, इसलिए हम ऐसी चीज़ों से दोस्ती नहीं करते।
हर कोई इस खेल को खेलने के लिए मैदान में कूद पड़ा है, लेकिन जो व्यक्ति मैदान में नहीं कूदा है और बस दर्शकों में बैठकर खेल देख कर मज़े ले रहा है और अपना मानसिक संतुलन सही रखते हुए इस खेल को नहीं खेल रहा है, वह होता है एक स्मार्ट आदमी।
इसलिए कंजूस होना बुरा नहीं है। लेकिन हद से ज्यादा कंजूस होना सेहत के लिए अच्छा नहीं है।