क्योंकि जहाँ भी तनाव दिखाई देता है वहीं से भीख माँगते हुए आगे बढ़ जाते। पहाड़ की खड़ी चढ़ाई
पर चढ़ने के लिए वे घोड़ों पर सवार होते हैं। एक स्थान पर वे चाय भी पीते हैं और दोपहर तक
सत्रह अट्ठारह फीट ऊँचे डंडे पर पहुंच जाते हैं। इतने ऊँचे चबूतरे से पहाड़ बिना बर्फ और हरियाली
के नजर आ रहे थे। सबसे ऊँची जगह पर पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े
की झडियों से सजा डाँडे के देवता का स्थान था। उतरते समय लेखक का घोड़ा बहुत धीमे चल
रहा था। लेखक ने उसको यह सोचकर मारना ठीक नहीं समझा कि वह थक चुका है। वह सबसे
पीछे रह गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा, दो रास्ते निकले हुए थे। जिस रास्ते पर लेखक चलने लगा
तो पूछने पर पता चला कि यह रास्ता ठीक नहीं है। लेखक वापस आया और दूसरे रास्ते अर्थात्
सही रास्ते पर चला। लगभग शाम तक वह गाँव पहुँचा। वहाँ समुति गुस्से से लाल होकर उसकी
प्रतीक्षा कर रहा था। आगे लेखक बताता है कि इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। सुमति बहुत जल्दी
ही शांत हो गया। लंङ्कोर में वे उचित जगह पर ठहरे थे। वहाँ उन्हें चाय, सत्तू और थुक्पा तरल
पदार्थ खाने को मिला।
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क्योंकि जहाँ भी तनाव दिखाई देता है वहीं से भीख माँगते हुए आगे बढ़ जाते। पहाड़ की खड़ी चढ़ाई
पर चढ़ने के लिए वे घोड़ों पर सवार होते हैं। एक स्थान पर वे चाय भी पीते हैं और दोपहर तक
सत्रह अट्ठारह फीट ऊँचे डंडे पर पहुंच जाते हैं। इतने ऊँचे चबूतरे से पहाड़ बिना बर्फ और हरियाली
के नजर आ रहे थे। सबसे ऊँची जगह पर पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े
की झडियों से सजा डाँडे के देवता का स्थान था। उतरते समय लेखक का घोड़ा बहुत धीमे चल
रहा था। लेखक ने उसको यह सोचकर मारना ठीक नहीं समझा कि वह थक चुका है। वह सबसे
पीछे रह गया। जैसे ही वह आगे बढ़ा, दो रास्ते निकले हुए थे। जिस रास्ते पर लेखक चलने लगा
तो पूछने पर पता चला कि यह रास्ता ठीक नहीं है। लेखक वापस आया और दूसरे रास्ते अर्थात्
सही रास्ते पर चला। लगभग शाम तक वह गाँव पहुँचा। वहाँ समुति गुस्से से लाल होकर उसकी
प्रतीक्षा कर रहा था। आगे लेखक बताता है कि इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। सुमति बहुत जल्दी
ही शांत हो गया। लंङ्कोर में वे उचित जगह पर ठहरे थे। वहाँ उन्हें चाय, सत्तू और थुक्पा तरल
पदार्थ खाने को मिला
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hope it helps u
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pls mark me as brainliest answer