क्या कान्वेंट की पढ़ाई मातृभाषा की पढ़ाई से भेष्ट है?इस कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
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भारत में हमेशा यह बहस रही है कि स्कूलों में बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाए या सिर्फ़ अंग्रेज़ी में. अब यह बहस कर्नाटक में भी फिर से शुरू हो गई है क्योंकि कर्नाटक सरकार ने प्राथमिक विद्यालय स्तर पर पढ़ाई का माध्यम अंग्रेज़ी रखने का फ़ैसला किया है.
राज्य सरकार का यह फ़ैसला भारत में नौकरियों के बाज़ार में अंग्रेज़ी की ज़रूरत पर आधारित है जिस पर कुछ विशेषज्ञ आपत्ति भी करते हैं.
कुछ भाषा और शिक्षाविद् एक हालिया शोध का हवाला देते हुए मस्तिष्क की वृद्धि, भाषा की पढ़ाई आदि में मातृभाषा के महत्व पर बल देते हैं. उनका मानना है कि सरकार की चुनी गई भाषा में यह ज़रूरी नहीं है.
विशेषज्ञों की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है, जब माता-पिता अपनी वित्तीय स्थिति की परवाह किए बिना अपने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों में भेज रहे हैं. ये लोग अपने पैसे का बड़ा हिस्सा स्कूलों में लगा रहे हैं ताकि उनके बच्चे रोज़गार के बाज़ार में पहुंच बना सकें.
भारत में हमेशा यह बहस रही है कि स्कूलों में बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाए या सिर्फ़ अंग्रेज़ी में. अब यह बहस कर्नाटक में भी फिर से शुरू हो गई है क्योंकि कर्नाटक सरकार ने प्राथमिक विद्यालय स्तर पर पढ़ाई का माध्यम अंग्रेज़ी रखने का फ़ैसला किया है.
राज्य सरकार का यह फ़ैसला भारत में नौकरियों के बाज़ार में अंग्रेज़ी की ज़रूरत पर आधारित है जिस पर कुछ विशेषज्ञ आपत्ति भी करते हैं.
कुछ भाषा और शिक्षाविद् एक हालिया शोध का हवाला देते हुए मस्तिष्क की वृद्धि, भाषा की पढ़ाई आदि में मातृभाषा के महत्व पर बल देते हैं. उनका मानना है कि सरकार की चुनी गई भाषा में यह ज़रूरी नहीं है.
विशेषज्ञों की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है, जब माता-पिता अपनी वित्तीय स्थिति की परवाह किए बिना अपने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों में भेज रहे हैं. ये लोग अपने पैसे का बड़ा हिस्सा स्कूलों में लगा रहे हैं ताकि उनके बच्चे रोज़गार के बाज़ार में पहुंच बना सकें.