क्या कारण है फ्लोरिंग से फ्लोराइड आया नासानी से बनता है जबकि क्लोरीन से क्लोराइड आया नहीं ब.नता
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Answer:
फ्लोराइडयुक्त जल और कैंसर के अन्तर्सम्बन्ध को लेकर सालों तक बहस चली है। यह बहस फिर से धरातल पर आया जब 1990 में नेशनल इंस्टीट्यूट और एनवायरमेंटल हेल्थ साइंस के हिस्से के रूप में नेशनल टॉक्सिलॉजी प्रोग्राम ने बताया कि 2 सालों तक पुरुष चूहों को उच्च फ्लोराइडयुक्त जल का सेवन कराने से ओस्टियोसरकोमस की मात्रा बढ़ जाती है। हालांकि मानव और दूसरे जीवों में फ्लोराइडयुक्त जल और कैंसर के अन्तर्सम्बन्धों को लेकर दूसरे अध्ययनों में ऐसी कोई बात निकल कर सामने नहीं आई।
Explanation:
फ्लोराइड नाम उस यौगिक समूह को दिया गया है जो फ्लोरीन से बने प्राकृतिक तत्व होते हैं। फ्लोराइड पानी और मिट्टी में विभिन्न स्तरों पर मौजूद होते हैं।
1940 में वैज्ञानिकों ने पाया था कि जहाँ पानी में फ्लोराइड की मात्रा पानी के एक मिलियन हिस्से में एक से अधिक होती है वहाँ के लोगों के दाँत में कैविटी ज्यादा जमती है बनिस्पत ऐसे इलाकों के जहाँ पानी में फ्लोराइड की मात्रा इससे कम होती है। बाद के कई अध्ययनों ने इस बात को प्रमाणित किया है।
आने वाले वक्त में यह भी पता चला कि फ्लोराइड दांतों की सुरक्षा कर सकता है और उसे बैक्टीरिया से भी बचा सकता है। यह बैक्टीरिया मुंह में अम्ल बनाता है और खनिज तत्वों को नुकसान पहुँचाता है, जिससे दांतों पर एनामेल फिर से बनते हैं और यह घिसने लगता है।दांतों के निर्माण के साथ-साथ यह हड्डियों में भी घुलने लगता है।
फ्लोराइड का सेहत पर प्रभाव
पूरे जीवनकाल में फ्लोराइड के अत्यधिक सेवन के कारण वयस्कों की हड्डियां टूटने लगती हैं और उन्हें दर्द और थकावट का अहसास हो सकता है। आठ साल तक के बच्चे अगर फ्लोराइड का अत्यधिक सेवन करें तो उनके दाँत बदरंग हो सकते हैं और उन पर गड्ढे हो सकते हैं।
यहाँ फ्लोराइड के तमाम स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रभावों का जिक्र नहीं है, यह सिर्फ आमलोगों को सूचित करने का प्रयास है कि फ्लोराइड युक्त पानी पीने का सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
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