क्या कभी आपको यह जानने की उत्सुकता हुई है कि हमारे बुजुर्ग किस प्रकार केवल छाया देखकर दिन के समय का अनुमान लगा लेते थे ?
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nahi per yes a lagta hai ki une purana expereyence hai
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हमारे बुजुर्ग केवल छाया देखकर दिन के समय का अनुमान लगा लेते थे |
Explanation:
हाँ, हमारे कुछ बुजुर्ग ज़मीन मे लकड़ी गाड़कर उसकी छाया उँगलियो से नापकर अनुमान का पता लगा लेते थे|
प्राचीन काल मे घड़ी नामक तंत्र नही हुआ करते थे इसलिये , तब लकड़ी को ज़मीन मे गाड़कर सूर्य की छाया को हाथ से नापकर समय का अनुमान लगाया जाता था| तब इस समय को एक पहर , दो पहर आदि कहा जाता था |
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