Political Science, asked by priyabujji4198, 1 year ago

क्या लोकतंत्र बहुसंख्यक समाज की तानाशाही नहीं है?

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Answered by Anonymous
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भारत की आजादी के समय और उससे पहले दो समकालीन बड़े नेता थे ,महात्मा गाँधी और नेताजी सुभाष दोनो के कई मुद्दे पर मतभेद थे कितुं दोनो ही लोकतंत्र के विचार पर अलग अलग अलग कारणों से सहमत नही थे ।

● महात्मा गाँधी का कहना था 51 प्रतिशत लोगो की मर्ज़ी को 49 फीसदी लोगो पर थोपना बिल्कुल गलत है ।

● नेताजी सुभाषचंद्र जी का कहना था कि अगर 51 फीसदी मूर्ख लोग 49 फीसदी लोगो पर राज करे यह उचित नही ।

● इस तरह देखे तो वर्तमान के जनसंख्या आधारित लोकतंत्र में अनेक खामियां दिखती है कितुं हमारे पास उसका जवाब कोई नही है अभी

● लोकतंत्र से कोई खास लाभ किसी को नही हुआ बस सदियों से सत्ता परिवर्तन के हिंसक स्वरूप से मुक्ति मिली है ,आप इतिहास देखे तो सारी किताबें सत्ता परिवर्तन की हिंसक कहानियो से पटे पड़े है

● इस तरह अब देशो के मध्य झगड़े भी लगभग खत्म हो गए है कितुं अब भविष्य में जो भी लडाई लड़ी जाएगी वह जनता के दिमाग़ों को बदलने की यानि ब्रेन बॉस करने की इसका परिणाम आज से 7 वर्ष पहले “अरब स्प्रिंग” हुआ था जिसमे भीड़ ने अपने तानाशाहों को मरना शुरू कर दिया था ।

● जिस समय अरब में अरब स्प्रिंग हो रहा था ठीक उसी समय भारत की दिल्ली में “अन्ना आंदोलन” हो रहा था और अरब स्प्रिंग भी उन देशों की राजधानी में ही हुआ था ।

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