'क्या लड़कियों के दिल नहीं होते, क्या उनको चोट नहीं लगती, क्या बेबस भेड़-बकरियाँ हैं जिन्हें कसाई अच्छी तरह से देखभाल कर' उमा के इस कथन के द्वारा लड़कियों की कौन-सी पीड़ा उजागर होती है?
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लड़कियों के पास दिल नहीं होती हैक्या उन्हें चोट नहीं लगती है क्या उन्हें भेड़ बकरियों की तरह कैसा है उन्हें देखकर खरीदा है प्रसंग व्याख्या करें
'क्या लड़कियों के दिल नहीं होते, क्या उनको चोट नहीं लगती, क्या बेबस भेड़-बकरियाँ हैं जिन्हें कसाई अच्छी तरह से देखभाल कर' उमा के इस कथन के द्वारा लड़कियों की कौन-सी पीड़ा उजागर होती है?
उमा के इस कथन के माध्यम से लड़कियों कि वह पीड़ा उजागर होती है जिसमें हमारे समाज द्वारा लड़कियों को दोयम दर्जे की दृष्टि से देखा जाता है। हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है, जिसमें ना तो लड़कियों की भावनाओं की कद्र की जाती है, और ना ही उनकी कद्र की जाती है।
इस पुरुष प्रधान समाज में लड़कियाँ जिस घर में लड़कियां जन्म लेती हैं। वहां लड़की के बड़ा होते ही बस उसे किसी तरह उसकी मर्जी के बिना उसकी शादी करने की जल्दी रहती है। चाहे लड़की शादी करना चाहे या ना चाहे अथवा ये भी नही देखा जाता कि लड़की की पसंद से शादी हो रही है या नहीं। यह सब नहीं देखा जाता। लड़कियों से भेड़ बकरियों की तरह व्यवहार किया जाता है। उमा अपने इस कथन से लड़कियों की सामाजिक स्थिति की पीड़ा उजागर कर रही है।
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