क्या नीलकंठ भी अपनी मुक्ति के लिए प्रयास करता होगा? आपको क्या लगता है?
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Explanation:
ग्यारह साल की नीलकंठ वर्णी ने भारत के उत्तरी क्षेत्र (उत्तराखंड) में अकेले यात्रा की। उन्होंने ऋषिकेश से केदारनाथ के लिए अपनी ऊर्ध्व यात्रा शुरू की और फिर बद्रीनाथ चले गए। बद्रीनाथ से उन्होंने सर्दियों की शुरुआत में बद्रीवन की अत्यंत कठिन और कठिन यात्रा की।
Answer:
वसंत ऋतु के आरम्भ होते ही अपने स्वभाव के कारण नीलकंठ अस्थिर हो उठता था। वर्षा ऋतु में जब आम के वृक्ष मंजरियों से लद जाते थे। अशोक का वृक्ष नए गुलाबी पत्तों से भर जाता, तो वह बाड़े में स्वयं को रोक नहीं पाता था । उसे मेघों के उमड़ आने से पूर्व ही इस बात की आहट हो जाती थी कि आज वर्षा अवश्य होगी। वह उसका स्वागत करने के लिए अपने स्वर में मंद केका करने लगता और उसकी गूँज सारे वातावरण में फैल जाती थी। उस वर्षा में अपना मनोहारी नृत्य करने के लिए वह अधीर हो उठता और जालीघर से निकलने के लिए छटपटा जाता था।
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