Geography, asked by AnushaNath1598, 11 months ago

कायान्तरित शैलों की विशेषताएँ बताइये।

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Answered by shekar2432
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कायांतरित शैल मे परत निर्माण ही बेलबूटेदार (फोलियेशन) कहलाता है (लैटिन शब्द फॉलिया से लिया गया जिसका अर्थ होता है पत्तियाँ) और यह तब उत्पन्न होता है जब कोई चट्टान ऱीक्रिस्टलिज़ेशन के दौरान अपनी अक्ष के समान्तर छोटी रह जाती है|जिसकी वजह से चट्टाने मुड़ जाती है और उनके मोडो पर विभिन्न प्रकार के रंग उत्पन्न हो जाते है जो की उन खनिजो के रंग होते है जिनकी वजह से उन मोडो का निर्माण होता है|बनावट को बेलबूटेदार और गैर - बेलबूटेदार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है|बेलबूटेदार (फोलियेशन) शैलों के अंदर तनाव का नतीजा है जिसके कारण शैलों की सतह पर फोलिएशन आ जाती है और कभी कभी शैलों मे दरार भी पड़ जाती है |उदाहरण के लिए, स्लेट बेलबूटेदार रूपांतरित चट्टान है, एक प्रकार की शीस्ट से उत्पन्न|गैर बेलबूटेदार शैलों मे प्लेनर पैटर्न नहीं होता है।|वो चहट्टने जिनके अंदर सभी दिसाओ से दाब लगता है वो बेलबूटेदार (फोलियेशन) प्रकट नही करती और वो चहट्टने मे भी बेलबूटेदार (फोलियेशन) नही होता जिनके अंदर किसी खनिज की कमी होती है|एनके (मेटमॉर्फिसम) अंदर ईक और क्रियाविधि होती है जिसके अनुसार बगेर तरल अवस्था मे आए चहट्टानो के अंदर रासॉय्निक प्रक्रिया हो जाती है|

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