क्या न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित किया जा सकता है?( कारण सहित लिखिए)
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न्यायिक सुधार (Judicial reform) से आशय किसी देश की न्यायपालिका का राजनीतिक ढंग से पूर्णतः या आंशिक परिवर्तन करना है। न्यायिक सुधार, विधिक सुधार का एक हिस्सा है। विधिक सुधार में न्यायिक सुधार के साथ-साथ कानूनी ढांचे में परिवर्तन, कानूनों में सुधार, कानूनी शिक्षा में सुधार, जनता में विधिक जागरूकता लाना, न्याय का त्वरित एवं सस्ता बनाना आदि भी शामिल हैं। न्यायिक सुधार का लक्ष्य न्यायालयों में सुधार, वकालत (bar) में परिवर्तन, दस्तावेजों का रखरखाव आदि सम्मिलित है।
न्यायिक संस्था और विधि का शासन, आधुनिक सभ्यता और लोकतांत्रिक शासन की आवश्यकता है। यह महत्तवपूर्ण है कि न्याय प्रदान करने के प्रभावी तंत्र को सुनिश्चित करने के जरिए न्याय तंत्र और विधि के शासन में लोगों की आस्था न सिर्फ परिरक्षित है बल्कि उसे बढ़ाने के साथ-साथ उसे हासिल करने का यह सरल रास्ता भी है।
न्यायिक सुधार के प्रमुख अंग ये हैं- सर्वसामान्य विधि (कॉमन लॉ) के स्थान पर विधि का संहिताकरण, इन्क्विजीशन प्रणाली से आगे बढ़कर वाद-प्रतिवाद प्रणाली (ऐडवर्सरियल प्रणाली) लागू करना, न्यायिक स्वतंत्रतता को और अधिक मजबूत करना (न्यायिक परिषदों द्वारा या नियुक्ति की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाकर), एक निश्चित आयु के बाद न्यायधीशों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करना आदि।