क्या राजकोषीय घाटा आवश्यक रूप से स्फीतिकारी है?
Answers
राजकोषीय घाटा
घाटे की मुख्य आलोचना यह भी की यह हमेशा स्फीतिकारी होते है | ऐसा इसलिए है क्यूंकि जब सरकार व्यय में वृद्धि और करों में कटौती करती है, तो समस्त मांग में वृद्धि होती है | फर्म अधिक मात्रा में, जितना कि वर्तमान कीमत पर मांग की जाती है , उतने का उत्पादन करने में असमर्थ हो सकते है | किन्तु यदि संसाधनों का उचित उपयोग न किया गया हो, तो मांग में कमी के कारण निर्गत को रोक लिया जाता है |
- उच्च राजकोषीय घाटे के साथ मांग ऊँची और निर्गत अत्यधिक होते है |
- इसलिए इसके स्फीतिकारी होने की आवश्यकता नहीं होती है |
- परन्तु जब कीमत की वृद्धि का स्तर अत्यधिक बढ़ जाती है इसके करण
मुद्रा की गिरती क्रय क्षमता के कारण समग्र मांग में कमी होती है | अन्ततः अर्थव्यवस्था में AD कम होने से अस्फीति भी हो सकती है और आर्थिक मंडी भी जन्म के सकतीं है
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Q.1.- राजकोषीय घाटा किसे कहते हैं?
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Q.2.- कुल खर्चे का कुल प्राप्ति का जितना अधिक हो उसे क्या कहा जाता है?
A. राजकोषीय घाटा
B. बजट घाटा
C. राजस्व घाटा
D. इनमें से कुछ नहीं
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Answer:
shayad yesss...........