क्या रोकेंगे प्रलय मेध ये, क्या विद्युत-चन के नतीन,
मुझेनसाथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।
मैं अविराम पथिक अलबेलास्केन मेरे कभी चरण,
गृलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए,
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान रतन ।
मैं अटका कब विचलित में, सतत डगर मेरी संबल,
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल
आँधी हो, ओले वर्षा हो, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन
मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कपन,
मुझे पथिक कब रोक सकें, अग्नि शिखाओं के नर्तन।
बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल विद्युत नर्तन।
(1) कवि ने किसकी प्रकृति का वर्णन किया है और कैसे?
(ii) पथिक की क्या विशेषता है?
EEE
(111) प्रलय मेघ, विद्युत घन, अंधड़, ज्वालामुखी किसके प्रतीक है?
(iv) युग के प्राचीर से कवि का क्या तात्पर्य है?
P.T.O.
Answers
Answered by
0
jnaanam gm in the hb @@@@@
Answered by
0
Answer:
ककवि ने किस की प्रकृति का वर्णन किया है
Similar questions
English,
1 month ago
Math,
1 month ago
Accountancy,
1 month ago
Political Science,
2 months ago
Science,
2 months ago
Science,
9 months ago
Chemistry,
9 months ago