Hindi, asked by rimjhimsi011, 1 month ago

केयूराणि न भूषयन्ति पुरुषं हारा: न चन्द्रोज्ज्वला:,
नस्तानं न विलेपनं न कुसुमं नालंकृताः मूर्धजाः।
वाण्येका समलंकरोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते,
क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणम् भूषणम् ।। word meaning

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Answered by shishir303
4

केयूराणि न भूषयन्ति पुरुषं हारा: न चन्द्रोज्ज्वला:,

नस्तानं न विलेपनं न कुसुमं नालंकृताः मूर्धजाः।

वाण्येका समलंकरोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते,

क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणम् भूषणम्।।

➲ कंगन से मनुष्य की शोभा नहीं बढ़ती। ना ही चंद्रमा की तरह चमकते हार से मनुष्य की शोभा बढ़ती है। सुगंधित जल से स्नान करने से भी मनुष्य की देह सुगंधित नहीं होती और ना ही देह पर सुगंधित उबटन लगाने से मनुष्य देह में चमक भरी शोभा आती है। फूलों से सजे बाल भी मनुष्य की शोभा को नहीं बढ़ाते। मनुष्य की असली शोभा केवल सुसंस्कृत और मधुर वाणी से ही बढ़ती है।

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Answered by yashsingh22
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यह इसका आंसर है

कंगन कंगन से मनुष्य की शोभा ना ही बढ़ती नाही चंद्रमा की तरह चमकते हार से मनुष्य की शोभा बढ़ती है सुगंधित जल से स्नान करने से भी मनुष्य की देश सुगंधित नहीं होती और ना ही दे पर सुगंधित अब रण लगाने से मनुष्य दे में चमक भार शोभा आती है फूलों से सजे बाल भी मनुष्य की शोभा नहीं बढ़ाते मनुष्य का की असली शोभा केवल सुसंस्कृत और मधुर वाणी से बढ़ती

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