Hindi, asked by raveenaror, 21 days ago

क्या सुनकर धृतराष्ट्र की आशंका और चिंता पहले से भी अधिक प्रबल होगी​

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Answered by Anonymous
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क्या सुनकर धृतराष्ट्र की आशंका और चिंता पहले से भी अधिक प्रबल होगी

क्या सुनकर धृतराष्ट्र की आशंका और चिंता पहले से भी अधिक प्रबल होगी

क्या सुनकर धृतराष्ट्र की आशंका और चिंता पहले से भी अधिक प्रबल होगी

Answered by NITESH761
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विदुर बार-बार धृतराष्ट्र से आग्रह करते थे कि आप पांडवों के साथ संधि कर लें। विदुर अकसर इसी भाँति धृतराष्ट्र को उपदेश दिया करते थे। विदुर की बुद्धिमता का धृतराष्ट्र पर भारी प्रभाव था। इसलिए शुरू-शुरू में वह विदुर की बातें सुन लिया करते थे। परंतु बार-बार विदुर की ऐसी ही बातें सुनते-सुनते वह ऊब गए।

विदुर बार-बार धृतराष्ट्र से आग्रह करते थे कि आप पांडवों के साथ संधि कर लें। विदुर अकसर इसी भाँति धृतराष्ट्र को उपदेश दिया करते थे। विदुर की बुद्धिमता का धृतराष्ट्र पर भारी प्रभाव था। इसलिए शुरू-शुरू में वह विदुर की बातें सुन लिया करते थे। परंतु बार-बार विदुर की ऐसी ही बातें सुनते-सुनते वह ऊब गए। एक दिन विदुर ने फिर वही बात छेडी, तो धृतराष्ट्र झुंझलाकर बोले-"विदुरा मुझे अब तुम्हारी सलाह की जरूरत नहीं है। अगर चाहो तो तुम भी पांडवों के पास चले जाओ।"

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